Not known Factual Statements About प्रेरणा कैसे पाएं
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अकबर बीरबल की कहानियाँ
“I’ve been utilized, in a few style, at any time since I used to be fifteen decades outdated, only getting weekly amongst modifying Positions across the nation. Throughout my Specialist career, I'd system out my compensated vacation time decades upfront, maximizing my time away just as much as is possible. Following a whirlwind excursion to Southeast Asia in 2016, I made a decision I needed to travel deeper, beyond the usual a few-week bursts where work is piling up behind me. After i started out vacation running a blog and engaging Using the electronic nomad community, I realized there are many folks carrying out just this, but I don’t know any one in my ‘serious life’ who’s ever strayed from the traditional career route.
इस पर, बीरबल ने जवाब दिया, “वह सब मुझे ठीक लगता है। लेकिन अगर आपने पानी बेचा है और पानी आपका है, तो आपके पास अपने कुएं में पानी रखने का कोई व्यवसाय नहीं है। पानी निकालें या तुरंत सभी का उपयोग करें। अगर पानी कुएँ के मालिक का नहीं होगा ”।
“जब कोई हमें ठेस पहुँचाता है तो हमें इसे रेत में लिख देना चाहिए जहाँ क्षमा की हवाएँ इसे मिटा सकती हैं। लेकिन, जब कोई हमारे लिए कुछ अच्छा करता है, तो हमें उसे website पत्थर में उकेरना चाहिए, जहां कोई हवा उसे मिटा नहीं सकती। ”
मुश्किलों का हल – भगवान बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी
char dost aur shikari Panchtantra ki kahani in Hindi, four pals and hunter
गरीबी में जन्मे कलाम ने कड़ी मेहनत और लगन से अपनी शिक्षा पूरी की और वैज्ञानिक बनने का सपना पूरा किया।
दरिद्र व्यक्ति बोला – मुर्ख स्त्री कितने दिन हो गए हैं मेने भोजन तक नहीं किया है ऐसे में भूखा रहकर धन को कैसे उठा कर ला पाउँगा भला?
“हाँ, यह टूटी हुई छड़ियों से बना है, जर्जर दिखता है और प्रकृति के तत्वों के लिए खुला है। यह कच्चा है, लेकिन मैंने इसे बनाया है, और मुझे यह पसंद है।
अकबर बीरबल की कहानियाँ
गाँधी जी सबसे पहले मिठाई पड़ोस में रहने वाले सफाई कर्मी को देने लगे.
पंचतंत्र की कहानी: बुद्धिमान केकड़ा और चिड़िया – buddhiman kekada aur chidiya
एक प्रोफ़ेसर क्लास ले रहे थे. क्लास के सभी छात्र बड़ी ही रूचि से उनके लेक्चर को सुन रहे थे.
मिल देखने के बाद शास्त्रीजी मिल के गोदाम में पहुँचे तो उन्होंने साड़ियाँ दिखलाने को कहा। मिल मालिक व अधिकारियों ने एक से एक खूबसूरत साड़ियाँ उनके सामने फैला दीं। शास्त्रीजी ने साड़ियाँ देखकर कहा- "साड़ियाँ तो बहुत अच्छी हैं, क्या मूल्य है इनका?"